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कविता

प्रेम करती हुई एक लड़की

विशाल श्रीवास्तव


एक लड़की प्यार कर रही है
एक रंगीन लैंडस्केप में वह
अकेली किसी आदमी से मिलने चली आई है
धूप इस समय को बच्चे की तरह चूमती है
कोई छिड़क देता है दृश्य पर
हल्दी की तरह पराग
लड़की को किसी ने प्रेम के बारे में नहीं बताया होगा
उसने पहली बार बारिश में भीगते हुए
इसे अपने भीतर महसूस किया होगा
और उस आदमी की गहरी आँखों के जरिए
प्यार लड़की की आत्मा में पौधे की तरह उगा होगा

सारी दुनिया उसे प्रेम करते हुए देख रही है
जैसे इस पृथ्वी पर कोई नहीं है उसके अलावा दर्शनीय
सड़क से घर की सँकरी गली में घुसती हुई
थोड़ी देर के लिए रुकेगी लड़की
सँभालेगी शरीर की हर लय से
जाहिर होते अपने बदमाश प्रेम को
ऐ लड़की! सँभालो अपनी आँखों में
स्थायी भाव की तरह बसता यह समुद्र
जरा सी गलती हुई और तुम गईं।

 


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